श्री गंगानगर
बेशकीमती अश्वों के साथ इसबार कुछ हटकर है अश्व मेला
राजस्थान के मारवाड़ी नस्ल की गूंज विदेशों तक पहुंची:

बिहाणीमेले में आए इकलौते उंठ ने दिखाया डांस
श्रीगंगानगर शहर के पदमपुर बाइपास रोड पर लगे अश्व मेले में
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कई शहरों से अश्वपालक पहुंच गए हैं और अश्व के प्रति एक प्रकार का जुनून उनके भीतर देखने को मिल रहा है। अश्वपालकों का कहना है कि बच्चों की तरह से उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया गया है। महाराणा प्रताप अश्व पालक समिति मेले को शुरू हुए अभी दो दिन ही हुए हैं और मारवाड़ी, चंभी, नुकरां व अन्य नस्लों की करीब 250 अश्व यहां मौजूद हैं और यह संख्या कल या परसों बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है। आपको बता दें कि श्रीगंगानगर और पंजाब इलाके के लोग शौक के तौर पर भी अश्वपालन करते हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मेले में पहले दिन ही यहां 84 स्टोरीज बुक हो गई र्थीं। अश्वपालकों का कहना है कि यह ऐसा शौक है जो वर्गभेद, जातिभेद और अर्थभेद तीनों को मिटाने वाला है। वाकई यदि अवलोकन किया जाए तो इस बार अश्वमेला परम्परागत मेले से कुछ हटकर नजर आता है। इस बार पिछले वर्षों की अपेक्षा पशुपालकों को अधिक सुविधाएं प्रदान की गई हैं, वहीं एक से बढ़कर एक बेशकीमती अश्व इस मेले में मौजूद हैं। व्यापारी अश्व की नस्ल, बनावट, हाइट आदि देखकर उसकी खरीद-फरोख्त करते है।
इस मौके पर पत्रकार वार्ता में समिति अध्यक्ष व विधायक जयदीप बिहाणी ने कहा कि गंगानगर में ये 22वां अश्व मेला है और अलग साज-सज्जा व व्यवस्थाओं के साथ लगाया गया है। इस मेले के आयोजन का मकसद केवल खरीद-फरोख्त नहीं है बल्कि यह शो के अलावा दूसरों में शौंक पैदा करने का जरिया भी है। जिस धरती पर गाय रंभाती है, हाथी चिंघाड़ करता है और घोड़ा हिनहिनाहट करता है, वो धरती दैवीय कृपा से पुनीत हो जाती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की गूंज विदेशों तक भी पहुंच गई है। पुष्कर मेले से भी यहां पशुपालक अश्व के साथ पहुंचने वाले हैं। गुजरात, महाराष्ट्र से भी यहां व्यापारी पहुंचेंगे क्योंकि वे भी अब मारवाड़ी अश्व के शौकीन हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि अब अश्वपालन का शौंक चरम पर है और युवाओं में भी इसका काफी क्रेज उत्पन्न हो गया है।
आपको बता दें कि मेले की व्यवस्थाओं के लिए समिति सचिव अमन भुंवाल, रणदीप बराड़, गगनदीप व अन्य कई दिनों से जुटे हुए थे। मेला 21 नवम्बर को समाप्त होगा, लेकिन शौकीनों के रूख को देखते हुए यथासंभव इसे दो दिन के लिए और भी बढ़ाया जा सकता है। 21 नवम्बर को दोपहर बाद घोड़ों की रेस व डांस कम्पीटीशन भी होगा, जिसमें विजेताओं को नकद राशि व स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर समिति के कार्यकारी अध्यक्ष इकबाल सिंह भंडाल, संरक्षक हरजीत सिंह बराड़, सूबा सिंह, बूटा सिंह, सुखदीप सिंह, रवि बराड़, हरजीत मिगलानी, गुरमीत गिल व अन्य उपस्थित थे। मेले में अश्वों के बीच एक व्यापारी अपने इकलौते उंठ के साथ मौजूद था और उंठ ने जब डांस दिखाया तो देखने वालों ने उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।







